सहशिक्षा (coeducation) की इस्लामी शरीयत इजाज़त नहीं देती इसलिए अफ़ग़ानिस्तान जैसे ग़रीब मुल्क में लड़कियों के लिए अलग स्कूलों का प्रबन्ध किये बिना किस तरह से लड़कियों को स्कूली शिक्षा दी जा सकती है? इस बात को इस्लामी शरीयत से नफ़रत करने वाले लोगों द्वारा अफ़ग़ानिस्तान को लड़कियों की शिक्षा के विरोधी के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। इसी सन्दर्भ में यह बात भी जान लेनी चाहिए कि क़ुरआन और हदीस को समझने वालों में तालिबान पहले दर्जे में हैं क्योंकि वह इन पर अमल करना भी जानते हैं और कराना भी जानते हैं। इस प्रकार से लड़कियों के लिए यदि अपने देश में वह अलग स्कूलों का प्रबन्ध होने तक उनको स्कूल भेजने से रोकते हैं तो क्या हर्ज है?
भारत में भी अच्छे संस्कारों की पृष्ठभूमि वाले परिवारों में सहशिक्षा को कभी अच्छा नहीं समझा गया है लेकिन देश में प्रशासन और न्यायपालिका द्वारा संविधान का सहारा लेकर व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के नाम पर जिस तरह से लिव इन रिलेशनशिप को जायज़ करके यौन सम्बन्ध बनाये जाने की आज़ादी दी गई है उससे व्यभिचार के दरवाज़े खुल गए हैं। यह बात अलग है कि लिव इन रिलेशनशिप में साथ रहते हुए बनाये गए यौन सम्बन्ध आपस में मनमुटाव होने पर यौन शोषण या बलात्कार मान लिए जाते हैं। इस प्रकार के माहौल में सहशिक्षा, शिक्षा के साथ यौन सुख भी उपलब्ध कराने का साधन बन रही है। इसका ही नतीजा है कि भारत में भी शिक्षा पूरी होने तक सहशिक्षा की बदौलत काफी संख्या में लड़कियां यौन सुख से परिचित हो चुकी होती हैं। इस कीमत पर गैरतमंद लोग तो अपनी लड़कियों को शिक्षा दिलाना कभी पसंद नहीं कर सकते चाहे वह रूढ़िवादी या शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए ही क्यों न कहलाएं।
अमेरिका से शिक्षा प्राप्त लोगों को भारत में बहुत अच्छी नज़र से देखा जाता है जबकि वहां से शिक्षित 90 प्रतिशत लड़कियाँ शादी से पहले सैक्स का अनुभव प्राप्त कर चुकी होती हैं।
भारत में इस देश कि संस्कृति पर गर्व करने वाले संस्कारवान पारिवारिक पृष्ठभूमि के लोग देश की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के मक़सद से अगर सहशिक्षा का विरोध करते है तो नासमझ लोग उसको तालिबानीकरण का नाम देते हैं।
सहशिक्षा को स्वीकार करने के नतीजे में अपने ज़मीर को मुर्दा करना पड़ता है क्योंकि भारत में अमेरिका के दर्शन कराने वाले देश के कर्णधार सहशिक्षा, लिव इन रिलेशनशिप से सामाजिक मान्यताओं की धज्जियाँ उड़ाते हुए अगले क़दम के तौर पर एच आई वी के संक्रमण से बचाने का बहाना करके चरित्र पर ध्यान देने के बजाए कण्डोम की सहायता से सुरक्षित यौन सम्बन्ध अर्थात व्यभिचार के लिए प्रेरित करना देश की उन्नति में सहायक मान रहे हैं।
इस प्रकार से यदि देश की संस्कृति की रक्षा करके भारत में एक साफ़ सुथरा माहौल बनाना चाहते हैं तो सहशिक्षा को समाप्त करना पड़ेगा।