tag:blogger.com,1999:blog-5559064315840075094.post3644031678284435835..comments2023-10-08T17:55:31.951+05:30Comments on Haqnama: समाज को खोखला कर रही सूदख़ोरी - Sharif KhanSharif Khanhttp://www.blogger.com/profile/03078524001055043871noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5559064315840075094.post-54618015814945312982011-05-19T04:55:00.801+05:302011-05-19T04:55:00.801+05:30बहुत ही अच्छा लेख आपने लिखा सूदखोरी के सन्दर्भ में...बहुत ही अच्छा लेख आपने लिखा सूदखोरी के सन्दर्भ में , पढ़कर काफी ख़ुशी हुई /<br />इसमे कोई शक नहीं कि सूदखोरी से सिवाए नुक्सान के कुछ हासिल नहीं! इसका सबसे बड़ा नुकसान जो मुझे समझ आता है वो ये है कि अमीर आदमी ज्यादा अमीर बनता जा रहा है और ग़रीब और भी ज्यादा ग़रीब. ! सूद चाहे वियक्तिगत तौर पर लिया हो या किसी सरकारी संस्था से वो किसी भी सूरत में इंसानी ज़िन्दगी के भले में नहीं है! हमारे देश में हो रही आत्महत्याओं का एक अच्चा क्रेडिट इस सूदखोरी और ब्याज्खोरी के खाते में जाता है! जिसमे मरने वाले अधिकतर किसान और गरीब तबका है ! अब सवाल ये है कि इसका किया हल हो जो सब के हित में हो ..................<br />डॉक्टर अनवर जमाल साहब ने लिखा है कि " इसका विकल्प सुझाएँ. ऐसा विकल्प जो कि व्यवहारिक हो. नेताओं को दोष देने से पहले जनता खुद भी अपने आपे को देख ले निम्न लिंक पर जाकर, <br />में आपके दिए हुई लिंक पर गया और नतीजा ये निकला कि आपस में एक दुसरे को दोष देकर हम इस मसले का हल नहीं निकाल सकते! ज़िम्मेदारी के तौर पर लोगो को जब तक इस बात का एहसास न कराया जाए कि वो अब तक कितनी घिनोनी चीज़ में लिप्त हैं और इसके कितने दुष्परिणाम हम रोजाना अखबारों में देख रहे हैं तब तक वो इससे नहीं रुकेंगे ! <br />सामाजिक संस्था और कुछ सदस्यों का गठबंधन इसके लिए कारगर साबित हो सकते हैं, जिससे कि ज़रूरत मंदों कि ज़रूरत पूरी हो सके और उन पर सूद का भार न पड़े एक कोशिश का हिस्सा हैं जो कि ऊपर के ब्लॉग में राय भी है. ये राय उस वक़्त तक बिलकुल ठीक है जब तक कि इस्लामी निजाम कयाम हो.<br /><br />बहुत बहुत शुक्रिया , एक अच्छी पोस्ट ..............Muhammad Alihttps://www.blogger.com/profile/09276360571448121603noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5559064315840075094.post-37960477782666421022011-05-18T13:00:21.280+05:302011-05-18T13:00:21.280+05:30शरीफ साहब आपने सूद का वास्तविक रूप उजागर कर दियाशरीफ साहब आपने सूद का वास्तविक रूप उजागर कर दियाAyaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5559064315840075094.post-90804484622144718902011-05-18T09:38:36.014+05:302011-05-18T09:38:36.014+05:30वाकई सूद समाज को दीमक की तरह खोखला कर रहा है... बल...वाकई सूद समाज को दीमक की तरह खोखला कर रहा है... बल्कि कर क्या रहा है, समाज को इस दीमक ने काफी हद तक खोखला कर दिया है....Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5559064315840075094.post-27369609624049581862011-05-17T22:49:35.321+05:302011-05-17T22:49:35.321+05:30बहुत ही बेहतरीन लेख़बहुत ही बेहतरीन लेख़S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5559064315840075094.post-22557534586542001252011-05-17T19:13:25.333+05:302011-05-17T19:13:25.333+05:30Nice post.
दीमक की तरह से खोखला कर रहे सूदख़ोरों क...Nice post.<br />दीमक की तरह से खोखला कर रहे सूदख़ोरों के चंगुल से समाज को बचाने के लिए आवश्यक है कि कुछ ऐसी संस्थाएं बनें जो छोटे और ग़रीब ज़रूरतमन्दों को बिना सूद के धन उपलब्ध कराने का प्रबन्ध करें ताकि एक अच्छे समाज का निर्माण हो।<br /><br /><b>Please see this also :</b><br /><br />बात दरअसल यह है कि जनता को लोकतंत्र चाहिए और लोकतंत्र को जनता के चुने हुए प्रतिनिधि चाहिएं। चुनाव के लिए धन चाहिए और धन पाने के लिए पूंजीपति चाहिएं। पूंजीपति को ‘मनी बैक गारंटी‘ चाहिए, जो कि चुनाव में खड़े होने वाले सभी उम्मीदवारों को देनी ही पड़ती है। <br />देश-विदेश सब जगह यही हाल है। जब अंतर्राष्ट्रीय कारणों से महंगाई बढ़ती है तो उसकी आड़ में एक की जगह पांच रूपये महंगाई बढ़ा दी जाती है और अगर जनता कुछ बोलती है तो कुछ कमी कर दी जाती है और यूं जनता लोकतंत्र की क़ीमत चुकाती है और चुकाती रहेगी।<br />लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी की क़ीमत अगर महज़ 5 रूपये मात्र अदा करनी पड़ रही है तो इसमें क्या बुरा है ?<br />और जो लोग इससे सहमत नहीं हैं , वे इसका विकल्प सुझाएँ. ऐसा विकल्प जो कि व्यवहारिक हो. नेताओं को दोष देने से पहले जनता खुद भी अपने आपे को देख ले निम्न लिंक पर जाकर :<br /><br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/05/exploitation.html" rel="nofollow">http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/05/exploitation.html</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com