Thursday, August 6, 2015

महिला नर्सें पुरुषों की नज़र में ज़ेहनी अय्याशी का सामान हैं। Sharif Khan

भारत पाक और बांग्लादेश की सम्मिलित संस्कृति पर ग़ौर करके देखें तो पुराने ज़माने से ही शर्म और हया सामाजिक चरित्र का ख़ास हिस्सा रही है। अपने गुप्तांगों पर बाहर के लोगों की नज़र पड़ सके यह तो दूर की बात है बल्कि अपने परिवार के लोगों की नज़रों से छिपाना भी उस शर्म का मुख्य भाग माना जाता रहा है। यहाँ तक कि बीमार होने पर भी कोई व्यक्ति यह नहीं चाहता कि उसकी बहन या बेटी उसकी तीमारदारी करते हुए उसके उन अंगों को छुए या देखे जिन को गुप्तांग या शर्मगाह कहते हैं।
मरीज़ों की तीमारदारी करने के लिए जिन नर्सों को रखा जाता है उनमें महिलाएं और पुरुष दोनों ही होते हैं जिनको खास तौर से मरीज़ों की देखभाल के लिए ट्रेनिंग दी जाती है और इस तरह से यह महिला और पुरुष नर्सें इन्सानों की अक्सर ऐसे मौक़े पर खिदमत करते हैं जबकि उनके सगे सम्बन्धी भी उनसे हाथ लगाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाते। 
नर्स के पेशे में आने वाले महिलाएँ और पुरुष दोनों ही होते हैं जिसका फ़ायदा यह है कि महिला मरीज़ों को महिला नर्सों और पुरुष मरीज़ों के लिए पुरुष नर्सों कि सेवाएँ हासिल हो जाती हैं।
पुरुष प्रधान समाज ने यह बहाना बनाकर कि, महिलाएँ पुरुषों के मुक़ाबले में ज़्यादा नर्मदिल और ममतामयी होती हैं, लिहाज़ा महिला नर्सों को पुरुष मरीज़ों की सेवा के लिए भी लगा दिया जाता है जोकि उन महिलाओं के शोषण करने के लिए एक खूबसूरत बहाने के अलावा कुछ नहीं है। उन महिला नर्सों को पुरुष मरीज़ों के वह काम भी करने पड़ते हैं जिनको करने में पुरुष भी शर्माएं। एक ख़ास बात यह भी है जो पुरुष मरीज़, बीमारी की गम्भीरता के समय तो उस नर्स को इज्ज़त की पवित्र नज़रों से देखता था, वही बीमारी के ठीक होते होते उसी नर्स को मर्द-औरत के रिश्ते से देखने लगता है। 
इसके अतिरिक्त रात की ड्यूटी में अक्सर पुरुष डाक्टरों को अपने साथ ड्यूटी देने वाली महिला नर्सों के साथ अश्लील हरकतें करते हुए देखा जाना आम बात है।
इस तरह से पुरुष वार्डों में ड्यूटी देने वाली महिला नर्सें अगर खुद को उन मानव रूपी भेड़ियों से बचाए रखती हैं तब भी उनकी गन्दी नज़रों के साये में ज़हनी अय्याशी का शिकार तो होती ही हैं। 
इस तरह से दूसरों की खिदमत की भावना से जुड़े हुए नर्सिंग के इस पवित्र पेशे को ज़ेहनी अय्याशों ने इतना कुरूप कर दिया है कि उपरोक्त हकीकत को जानने वाले लोग अपनी लड़कियों के लिए इस पेशे को चुनने में झिझक महसूस करते हैं।
लिहाज़ा महिला नर्सों को इस प्रकार के शोषण से बचाने के लिए ज़रूरी है कि क़ानून के द्वारा इस बात को सख्ती से लागू किया जाए कि पुरुष मरीज़ों के लिए महिला नर्सों की सेवाएं न ली जा सकें और महिला मरीज़ों से पुरुष नर्सों को दूर रखा जाए। 

1 comment:

DR. ANWER JAMAL said...

is baare me naye sire se purani baat sochne ki zururat hai.