Wednesday, August 5, 2020

क्या होगा जब सबसे बड़ी अदालत में पेशी होगी ? Sharif Khan

प्रत्येक धर्म में शब्दों के कुछ अन्तर से एक ही बात कही गई है कि हर इन्सान को मरने के बाद दुनिया में किये गए कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक में भेजा जाएगा। इस्लाम धर्म में इस बात को विस्तार से समझाते हुए कहा गया है कि क़यामत आएगी और सभी लोग मर जाएंगे। उसके बाद सारी ज़मीन को एक मैदान का रूप देकर जितने लोग भी दुनिया में पैदा हुए उन सबको एक साथ ज़िन्दा करके उस मैदान में जमा किया जाएगा और हरएक व्यक्ति का हिसाब होगा। हर व्यक्ति को उसके छोटे से छोटे और बड़े से बड़े गुनाह को उसकी आँखों से दिखा दिया जाएगा ताकि वह फ़ैसले से सन्तुष्ट हो सके क्योंकि उस अदालत में सारे जजों का जज फ़ैसला करेगा और न तो वह पूर्वाग्रह से ग्रसित होगा और न ही कुछ ख़ास लोगों के विवेक (conscience) या चाहत को सन्तुष्ट करना उसका मक़सद होगा। उसको न तो इस बात का डर होगा कि फ़ैसले के जो ख़िलाफ़ गुण्डे और मवालियों के हंगामे से क़ानून और व्यवस्था ख़राब हो जाएगी और न ही अपराधी के छोटे या बड़े होने से सज़ा में कोई अन्तर  पड़ेगा। 
क्या अजब नज़ारा होगा कि, अपराधी को केवल अपराधी की नज़र से देखा जाएगा चाहे दुनिया में वह, 
* जानबूझ कर गलत फ़ैसले देने वाला किसी सर्वोच्च न्यायालय का जज रहा हो। या
* किसी जज को गले में लालच का पट्टा पहनने पर मजबूर करके कुत्ते के मानिन्द उससे काम लेते हुए उससे मनचाहे फ़ैसले कराने वाला देश का मुखिया रहा हो। या
* बेगुनाहों पर अत्याचार करने के लिए अपनी फ़ौज का ग़लत इस्तेमाल करने वाला कोई जनरल रहा हो। या 
* जनता की हिफ़ाज़त करने के बजाय उसको अपने संगठित गुंडों के हवाले करके क़त्ल, बलात्कार और लूट कराने वाला कोई शासक रहा हो। या 
* साम्प्रदायिकता के बीज बो कर देश का वातावरण दूषित करने वाला कोई राजनेता रहा हो। या 
* क़ौम का सौदा करके ज़ालिमों का साथ देने वाला कोई मौक़ा परास्त धर्म गुरु रहा हो। 
आदि हर प्रकार के अपराधी अपराध के अनुसार सज़ा पाएंगे। यह इसलिए भी ज़रूरी होगा क्योंकि अपराधी को सज़ा दिये बिना इंसाफ़ मुकम्मल नहीं होता है।

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