चंगेज़ ख़ान ने जब बग़दाद फ़तह किया तो उसने हैवानियत की सारी हदों को पार करते हुए वहां की जनता का क़त्ले आम कराना शुरु कर दिया। ऐसी स्थिति में लोग भयभीत होकर तहखानों आदि में छिप गए और हालात सामान्य होने का इन्तज़ार करने लगे। चंगेज़ खान को लोगों के छिपे होने का तो आभास था परन्तु छिपने के स्थान का पता नहीं था। किसी ने जब उसको यह बताया कि मस्जिदों में अज़ान होती है जिसको सुनकर मुसलमान नमाज़ पढ़ने के लिए वहां जाते हैं। इस मालूमात के बाद उसने मस्जिदों में अज़ान दिलवाई ताकि लोग नमाज़ पढ़ने के लिए बाहर निकलें और ऐसा ही हुआ। अज़ान की आवाज़ सुनकर लोगों ने समझा कि स्थिति सामान्य हो गई है लिहाज़ा वह नमाज़ पढ़ने व दूसरी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपनी पनाहगाहों से बाहर निकले और इस प्रकार से वह भी चंगेज़ खान के ज़ुल्म का शिकार हुए।
भट्टा पारसौल गांव में दो सिपाहियों की मौत ने उत्तर प्रदेश की पुलिस को क्या चंगेज़ ख़ान की फौज नहीं बना दिया है? दिन में ऐलान किया जाता है कि पुलिसिया ज़ुल्म के कारण घरों से पलायन करने वाले लोग बिना किसी डर के लौट आएं और रात को डरे सहमे लोग जो हाथ आ जाते हैं उनको चंगेज़ी नीति के अनुसार पुलिस का कोपभाजन बनना पड़ता है। हालांकि एक फ़र्क़ अब भी है। वह यह कि, चंगेज़ ख़ान की फ़ौज के ख़िलाफ़ महिलाओं से दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं थी परन्तु यहां शायद ऐसी शिकायतें महिला मुख्यमन्त्री होने के कारण हैं, क्योंकि आमतौर से महिलाएं पुरुषों के मुक़ाबले में महिलाओं के द्वारा अधिक सताई जाती हैं।
ध्यान रहे कि मुख्यमन्त्री ने जब बुलन्दशहर से चुनाव लड़ा था तब पुलिस के द्वारा उनके साथ किये गए दुर्व्यवहार को वहां की जनता आज भी नहीं भूली है परन्तु उन्होंने उसको पता नहीं क्यों भुला दिया है वरना एक भुक्तभोगी होने के नाते कम से कम उनके मुख्यमन्त्रित्व काल में तो महिलाओं के सम्मान की रक्षा होनी ही चाहिए थी।
अपनी भूमि का न्यायोचित मुआवज़ा मांगने के जुर्म में इस हद तक हालात बिगड़े और जनता को पुलिस का असली रूप देखने के लिए मजबूर होना पड़ा। जबकि मुआवज़ा अब भी बढ़ाना पड़ेगा।
यदि सरकार वहां के हालात ठीक करना चाहे तो आम माफ़ी के ऐलान के साथ वहां के लोगों के ख़िलाफ़ क़ायम किये गए मुक़दमें वापस लेकर वहां से पुलिस और पी.ए.सी. को हटा ले। और इसके साथ ही पुलिस के द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार की जांच कराके दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिये जाने का प्रबन्ध सुनिश्चित करा दे। शायद एक ही दिन में समस्या का समाधान हो जाए।
3 comments:
Ham Bhut Khush Hain
mera Bharat hai mhan. karta hun dil se samman.
२५ मई २०११ ४:१७ अपराह्न
बड़ी दुखद घटना !
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