Tuesday, April 25, 2017

तीन तलाक़ के बाद उसको अवैध घोषित कराने के लिये कोर्ट में जाना बलात्कार कराने की इजाज़त मांगने के समान है। Sharif Khan

इस्लामी शरीयत में हर बात क़ुरआन और हदीस के ज़रीये स्पष्ट रूप से समझा दी गई है और यह चूँकि अल्लाह की तरफ़ से भेजी गई है लिहाज़ा इसकी बुनियादी बातों में किसी भी प्रकार के संशोधन की गुंजायश नहीं है। अगर आंशिक रूप से कोई समस्या पैदा होती है तो उसका समाधान उलेमा के ज़रीये क़ुरआन व हदीस की रौशनी में किये जाने का प्रावधान है। इस प्रकार शरीयत की सीमाओं में रहते हुए नए नए वैज्ञानिक अविष्कारों का प्रयोग किस तरह किया जाए इस बात के लिये उलेमा की राय ही अन्तिम फ़ैसले की हैसियत रखती है। 
मिसाल के तौर पर बन्दूक़ की ईजाद होने के बाद उससे मारे गए शिकार के हलाल होने का मसअला बुनियादी न होकर आंशिक (जुज़वी) था लिहाज़ा अल्लाह का नाम लेकर चलाई गई गोली से अगर शिकार मर जाता है तो उसको हलाल मान लिया गया क्योंकि बुनियादी बात तो अल्लाह का नाम लेना और उस जानवर का खून बहा देना है। इस बात को अल्लाह के रसूल स अ व ने एक हदीस में इस तरह फ़रमाया है कि,
"खून बहा दो जिस चीज़ से चाहो और अल्लाह का नाम लो।"
इसी प्रकार तलाक़ के मामले में बुनियादी बात तो तीन मर्तबा तलाक़ के अलफ़ाज़ का दोहराना है जिसके लिये सही तरीक़ा अपनाने के लिए एक एक महीने के अन्तराल का निर्देश दिया गया है लेकिन अगर एक साथ ही तीन तलाक़ दे दिये जाते हैं तो तलाक़ तो हो जाता है लेकिन ऐसे व्यक्ति को सज़ा का भी प्रावधान है। चूँकि इस तरह तलाक़ मान्य होना हदीस से साबित है लिहाज़ा इसके ख़िलाफ़ कुछ भी कहना गुनाह होता है। पिछली चौदह सदियों से यही व्यवस्था चली आ रही है क्योंकि इसको मुस्लिम औरतों और मर्दों ने शरीयत के अन्तर्गत होने के कारण समान रूप से स्वीकार किया हुआ है। यह भी हक़ीक़त है कि मुस्लिम विवाह और तलाक़ के विवादों को हल करने का अधिकार किसी भी ग़ैरमुस्लिम संस्था को न होकर केवल मुस्लिम उलेमा को है।
इस प्रकार चूँकि तीन तलाक़ कहने से तलाक़ हो जाता है और ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति उस तलाक़शुदा औरत के लिये ग़ैर महरम हो जाता है लिहाज़ा उन दोनों के दरमियान पति पत्नी के सम्बन्ध बनाना ज़िनाकारी है लिहाज़ा किसी कोर्ट से या सरकार से पति पत्नी के रूप में सम्बन्ध बहाल किये जाने की अपील करना बलात्कार कराने की इजाज़त मांगने जैसा है जिसके ख़िलाफ़ मुस्लिम समाज को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।

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