Monday, July 5, 2010

देश की मुख्यधारा क़ुरान की रोशनी में

अल्लाह सुबहाना व तआला पवित्र क़ुरआन के चैथे अध्याय की 135वीं आयत में फ़रमाता है, अनुवाद,‘‘ऐ लोगो जो ईमान लाए हो, इन्साफ़ का झण्डा उठाओ और ख़ुदा वास्ते के गवाह बनो चाहे तुम्हारे इन्साफ़ और तुम्हारी गवाही की चपेट में तुम स्वयं या तुम्हारे मां बाप और रिश्तेदार ही क्यों न आते हों। प्रभावित व्यक्ति (जिसके ख़िलाफ़ तुम्हें गवाही देनी पड़े) चाहे मालदार हो या ग़रीब, अल्लाह तुमसे ज़्यादा उनका भला चाहने वाला है। अतः तुम अपनी इच्छा के अनुपालन में इन्साफ़ से न हटो। और अगर तुमने लगी लिपटी बात कही या सच्चाई से हटे तो जान रखो कि, जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह को उसकी ख़बर है।‘‘
उपरोक्त आदेश उन लोगों के लिए है जो ईमान वाले हैं। ईमान वाले वह लोग होते हैं जो अल्लाह का हुकुम मानने वाले हों। अतः इस आयत में दिये गए आदेश के अनुसार अमल करके हम समाज में फैली हुई बहुत सी बुराइयों को दूर करने में सहायक हो सकते हैं। आजकल खाने पीने की चीज़ों और दवाइयों आदि में मिलावट करके जो लोग इन्सानों की ज़िन्दगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं उनकी ओर से नज़र बचाने के बजाय हमको चाहिए कि ऐसे घिनौने काम करने वाले समाज दुश्मन तत्वों की जानकारी यदि हम रखते हों तो इस बात की सूचना हम सम्बन्धित सरकारी विभागों को दें चाहे इससे हमारा कोई निजी नुकसान होता हो या हमारा कोई सगा सम्बन्धी ही क्यों न प्रभावित हो रहा हो।
इस काम के करने में हो सकता है कुछ ऐसी अड़चनें आएं जिनकी आपने कल्पना भी न की हो। उदाहरण के तौर पर जब आप इस बिगड़े हुए समाज में सुधार की बात करेंगे तो हो सकता है कि आपके कुछ ऐसे मित्र व सम्बन्धी आपके खि़लाफ़ हो जाएं जिनके उन मिलावटखोरों से मधुर सम्बनध हों जिनके खि़लाफ़ आप कार्रवाई करने जा रहे हैं। दूसरी दिक्क़त आपको सम्बन्धित सरकारी विभागों व पुलिस के उन भ्रष्ट कर्मचारियों से पेश आ सकती है जिनकी सरपरस्ती में यह धन्धा फलफूल रहा है। तीसरी दिक्क़त उन राजनैतिक नेताओं से आ सकती है जिनकी परवरिश इसी गन्दगी में हुई है और अब सफ़ेदपोश लोगों में शामिल होकर चोरी छिपे इन अपराधों में सहायता कर रहे हैं।
इस कार्य को अकेले करने के बजाय यदि संस्थागत (इजतेमाई) तौर से किया जाए और देश की मुख्यधारा में शामिल कर लिया जाए तो मुख्यधारा का ढिंढोरा पीटने वालों में शामिल मिलावटखोरों को प्रायश्चित् करने का अवसर भी मिल जाएगा।

17 comments:

Unknown said...

अच्छी पोस्ट है.

Anonymous said...

अच्छी सलाह है.

Ayaz ahmad said...

अच्छी पोस्ट

Ayaz ahmad said...

मौलाना अबुल आला मोदूदी रह. के कथन को मेरी पोस्ट के रूप में देखें।

Anonymous said...

nice post.

Sharif Khan said...

Dr. Ayaz ahmad ji!
आप ने पसंद किया इस के लिए शुक्रिया.

DR. ANWER JAMAL said...

चीज़ों की कौन कहे ?, लोग तो धर्म तक मिलावटी और फ़ैब्रिकेटिड लिये घूम रहे हैं , आप ध्यान दिलाएंगे तो नाराज़ हो जाएंगे ।

شہروز said...

तस्लीम शरीफ साहब!!
खूब लिखा.क्या बेहतर होता आप प्रोफाइल में अपने बारे भी कुछ बताते.
हमज़बान की नयी पोस्ट पढ़ें.

The Straight path said...

हज़रात बहुत अच्छा लिखा !

Anjum Sheikh said...

आपके सभी लेख बहुत अच्छे और जानकारी देने वाले हैं.

हिजाब के ऊपर मैंने एक लेख लिखा है, मेरे ब्लॉग पर ज़रूर देखिएगा.

S.M.Masoom said...

इस कार्य को अकेले करने के बजाय यदि संस्थागत (इजतेमाई) तौर से किया जाए

Anonymous said...

http://www.healthymuslim.com/

Anonymous said...

http://www.healthymuslim.com/articles/mdhpn-black-seed-oil-nigella-sativa-and-its-disease-preventing-effects.cfm

http://www.healthymuslim.com/articles/hcvho-principles-concerning-infectious-disease-al-adwaa-in-light-of-the-swine-flu-drama---part-1.cfm

सहसपुरिया said...

बहुत अच्छा लिखा है.

Saleem Khan said...

अच्छी पोस्ट है.

Mohammed Umar Kairanvi said...

आपने बहुत बढिया मशवरा दिया है, सरकार इसके लिये कडे कानून तो ला रही है लेकिन सामाजिक जागरूकता की ओर ध्‍यान नहीं दे रही उसे तो बस एडस और पोलियो के अलावा कोई मुददा दिखायी नहीं दे रहा

DR. ANWER JAMAL said...

'ईमान वाले वह लोग होते हैं जो अल्लाह का हुकुम मानने वाले हों।'
ऐसे कितने लोग हैं? क्या मुसलमानों के हर घर में एक दो ऐसे लोग मिल जाते हैं या मुसलमानों में भी नापैद हैं?
पहली फ़िक्र ऐसे लोगों को बनाने की होनी चाहिये. जब ये अकसरियत में होंगे तो इंसाफ तब चलन में आयेगा. अभी तो सिर्फ इंसाफ की यादें हैं या फिर उम्मीदें.

Nice Post.