‘‘बढ़ते अपराधों पर क़ाबू पाने को गुजरात पुलिस का अनौखा तरीक़ा‘‘ इस विषय के अन्तर्गत हिन्दी के एक दैनिक समाचार पत्र में छपी एक ख़बर आपके अवलोकनार्थ प्रतुत हैं ‘‘गुजरात में अपराधों के बढ़ते ग्राफ़ को घटाने और अपराधियों के काम करने के ढंग को जानने के लिए राज्य सरकार ने अनोखा तरीक़ा निकाला है। उसने पुलिस से अपराधियों की चालें सीखने को कहा है ताकि उसका उपयोग आज़ाद घूम रहे अपराधियों को पकड़ने और अपराधिक मामलों को सुलझाने में किया जा सके। अतः गुजरात पुलिस को अब ट्रेनिंग के बजाय जेल में क़ैदियों के पास भेजा जाएगा ताकि वे अपराध के ‘वास्तविक विशेषज्ञों‘ से तरकीबें सीखें। गृह विभाग द्वारा तैयार योजना के मुताबिक़ पुलिसकर्मी ज़िला जेलों में अपराधों की सज़ा काटने वाले क़ैदियों से युक्तियां सीखेंगे। विभाग ने डी.एस.पी. और पुलिस कमिश्नर को इस योजना को ग्रामीण और शहरी इलाक़ों में लागू करने को कहा है।‘‘
उपरोक्त समाचार को पढ़कर निकाले गए निष्कर्ष को आपकी राय जानने हेतु सूत्रवार प्रस्तुत किया जा रहा हैः
1. यह कि, शासन द्वारा जेलें अपराधियों को सुधारने के लिए क़ायम की गई हैं न कि अपराधों की बारीकियों को समझने और अपराधों का प्रशिक्षण देने के लिए।
2. यह कि, अपराधियों को सुधरने के लिए प्रायश्चित् करना आवश्यक है जो कि किये गए अपराध पर शर्मिन्दा होकर उसे भुलाये बिना सम्भव नहीं हो सकता।
3. यह कि, अपराध करने से ज़्यादा उसको छिपाना कठिन होता है तथा जो अपराधी योजनाबद्ध तरीक़े से कार्य करते हैं, उनके पकड़े जाने की सम्भावना कम ही रहती है लिहाज़ा फूलप्रूफ़ योजना पुलिस के साथ मिलकर अधिक आसानी से तैयार की जा सकती है। इस योजना का लाभ अपराधी तो जेल में बन्द रहने के कारण मुश्किल ही से उठा पाएंगे परन्तु पुलिस को अपराध करने में आसानी हो जाएगी और चूंकि पकड़े जाने की सम्भावना कम होगी इसलिए पुलिस की किरकिरी भी न होगी कयोंकि अब तो कोई पुलिसकर्मी यदि अपाराध करते हुए न चाहते हुए भी पुलिस को पकड़ना पड़ जाता है तो आला अधिकारियों को उसको बेदाग़ घोषित करके कभी न कभी शर्मिन्दा होना पड़ ही जाता है। जेल से छूटने के बाद कोई अपराधी यदि अपनी शिष्य पुलिस के साथ मिलकर बनाई गई योजना के अनुसार अपराध करने की केाशिश करेगा तो उसका फ़र्जी एन्काउण्टर करके पुलिस अपराध जगत में भी अपना एकछत्र राज क़ायम कर लेगी।
निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि, सुपारी लेकर क़त्ल करने, अपराधियों के साथ साठगांठ रखने, डकैती और दूसरे विभिन्न प्रकार के अपराधों से पुलिस का दामन पहले ही दाग़दार है। इस योजना के अन्तर्गत अपराध का सरकारीकरण करके प्राइवेट सैक्टर के अपराधियों सफ़ाया करने की जो बेहतरीन योजना गुजरात सरकार ने बनाई है वह तारीफ़ के काबिल है।
8 comments:
GOOD POST
उसका उपयोग आज़ाद घूम रहे अपराधियों को पकड़ने और अपराधिक मामलों को सुलझाने में किया जा सके। -hum hain na हम से बढ़कर कौन ? sharif khan,जो अपराधी योजनाबद्ध तरीक़े से कार्य करते हैं, उनके पकड़े जाने की सम्भावना कम ही रहती है प्राइवेट सैक्टर के अपराधियों सफ़ाया करने की जो बेहतरीन योजना गुजरात सरकार ने बनाई है वह तारीफ़ के काबिल है।sharif khan
अपराधी तो हमेशा पुलिस के साथ मिलकर काम करते है। अब पुलिस भी अपराधियों के साथ मिलकर काम करेगी बहुत अच्छा रहेगा! वैसे भी गुजरात मे सरकारी आतंकवाद पूरी दुनिया देख चुकी है।
अच्छी पोस्ट
nice post
marhaba
गुजरात मे सरकारी आतंकवाद पूरी दुनिया देख चुकी है।
Nice post क्या होता है ? very nice है यह पोस्ट।
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