Thursday, May 12, 2011

देश में फैल रहे भ्रष्टाचार की ज़िम्मेदार जनता - Sharif Khan

आज हमारा महान देश भ्रष्टाचार के पन्जे में इस हद तक जकड़ा हुआ है कि सभ्य कहते हुए भी शर्म आती है। इस बात को विस्तारपूर्वक समझने के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार करना आवश्यक हैः

1- यह कि, ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबे हुए हमारे देश में जनता को सरकार के निर्वाचन का अधिकार मिले होने के बावजूद यदि चरित्रहीन ग़ुण्डे और भ्रष्ट लोग चुने जाते हैं तो उसकी ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ जनता ही है।

2- यह कि, किसी राजनैतिक दल के द्वारा चुनाव के मैदान में उतारे गए प्रत्याशी द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा दी गई चुनाव लड़ने की इजाज़त उसके चरित्रवान और अच्छा इन्सान होने का मापदण्ड नहीं है अपितु सही मापदण्ड तो वह है जो जनता उसके बारे में जानकारी रखती है। धोखाधड़ी, डकैती, ग़ुण्डागर्दी, बलात्कार, क़त्ल और अपहरण आदि अपराधों में लिप्त किसी व्यक्ति ने चाहे रसूख़, दबंगई और रिश्वत के बल पर अपने गुनाहों पर परदा डलवा रखा हो परन्तु उस समाज के लोग तो उसके करतूतों से भली भांति परिचित होते हैं। इसके बावजूद भी ऐसे घिनौने चरित्र के लोगों का चुनाव में सफल होना उनके वोटरों के दुष्चरित्र होने का प्रमाण है।

3- राजनीति में भ्रष्टाचार का रोना रोने वाले लोगों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि सरकार बनाने के लिए जनता द्वारा चुने गए राजनेता चुने जाने के बाद भ्रष्ट और चरित्रहीन नहीं हो जाते अपितु वह भ्रष्ट और चरित्रहीनता वाली पृष्ठभूमि से ही आए हुए होते हैं और उनके गन्दे आचरण ने ही उनको इस मुक़ाम पर पहुंचाया होता है। अतः जनता द्वारा ऐसे गिरे हुए लोगों का चुना जाना जनता की गन्दी मानसिकता को उजागर करने के लिए पर्याप्त है।

4- यह कि, जनता ने चुनाव के लिए जो आधार बनाए हुए हैं वह पूरी तरह से दोषपूर्ण हैं। कहीं जाति के आधार पर वोट दी जाती है तो कहीं धर्म के आधार पर। कहीं पार्टी के नाम पर वोट दी जाती है तो कहीं लालच में आकर वोट देते हैं। कुछ लोग तो गुण्डे और बदमाशों को यह कहकर वोट देते हें कि दूसरी पार्टी के गुण्डों से यही व्यक्ति टक्कर ले सकता है। इन्हीं कारणों से साफ़ सुथरी छवि के लोगों का चुना जाना लगभग असम्भव बन चुका है।

5- यह कि, किसी प्रत्याशी का चरित्रवान होना, उसमें समाज सेवा की भावना का होना तथा बिना किसी भेदभाव के कार्य करने में सक्षम होना ही उसको वोट देने का मापदण्ड होना चाहिए।

6- यह कि, एक समय ऐसा था कि किसी राजनैतिक पार्टी में यदि कोई दाग़ी चरित्र वाला नेता होता था तो उसके अस्तित्व से पार्टी की छवि ख़राब होने का अन्देशा रहता था और ऐसे व्यक्ति के गुनाहों पर परदा डालने की कोशिश की जाती थी परन्तु अब बड़ी बेशर्मी से यह कह दिया जाता है कि दूसरी पार्टियों के ग़ुण्डों से निपटने के लिए ऐसे लोगों का होना आवश्यक है या यह कह दिया जाता है कि दूसरी पर्टियों में तो इससे भी ज़्यादा बदमाश मौजूद हैं।

7- यह कि, चूंकि कोई भी राजनैतिक पार्टी ऐसी मौजूद नहीं है कि जिसमें ग़ुण्डे और बदमाशों का अस्तित्व न हो इसलिए जनता को चाहिए कि पार्टी को वोट न देकर प्रत्याशी को वोट दें चाहे वह निर्दलीय ही क्यों न हो। यदि ऐसा हो गया तो राजनैतिक पार्टियां भ्रष्ट और चरित्रहीन लोगों को सर आंखों पर बिठाने के बजाय बाहर का रास्ता दिखाने के लिए मजबूर हो जाएंगी।

अन्त में यही कहा जा सकता है कि यदि घर की रखवाली की ज़िम्मेदारी किसी चोर को सौंपी जाती है तो क़सूरवार घरवाले होंगे न कि चोर। अतः पूरे देश में फैल रहे भ्रष्टाचार की ज़िम्मेदार गन्दे और दाग़दार लोगों को चुनकर भेजने वाली जनता है न कि चुने हुए नेता।

3 comments:

ZEAL said...

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@-यदि घर की रखवाली की ज़िम्मेदारी किसी चोर को सौंपी जाती है तो क़सूरवार घरवाले होंगे न कि चोर...

Very true ! i fully agree with you.

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DR. ANWER JAMAL said...

@-यदि घर की रखवाली की ज़िम्मेदारी किसी चोर को सौंपी जाती है तो क़सूरवार घरवाले होंगे न कि चोर...

Very true ! i fully agree with you.

डा. दिव्या जी से सहमत.

Sawai Singh Rajpurohit said...

श्री शरीफ खान जी ,
सादर अभिवादन
बहुत ही बढ़िया लेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर !
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनायें....
आपको बुद्ध पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनायें..



यहाँ पर भी आयें
स्वामी राम देव जी महाराज अनिश्चितकालीन उपवास पर