Sunday, June 19, 2016

क्या संस्कृति, संस्कार, हया, शर्म आदि शब्द अर्थहीन चुके हैं? Sharif Khan

कल्पना कीजिये कि आपके किसी मित्र की पुत्री किसी बार में काम करती है और लोगों को शराब पेश करती है या किसी की पुत्री किसी होटल में वेटर का काम अंजाम देते हुए खाना परोसती है तो शायद आप ऐसे लोगों को अच्छी नज़र से न देखेंगे और न ही उनकी तारीफ़ करेंगे परन्तु यदि इस तरह के काम से कोई लड़की हवाई जहाज़ के मुसाफ़िरों की सेवा करती है तो एयर होस्टेस के खूबसूरत नाम से जानी जाती है और सभी लोग उसको इज़्ज़त देते हैं जबकि बार या होटल में तो वह केवल पीने खाने की चीज़ें ही परोसती है लेकिन हवाई जहाज़ में मुस्कुरा कर यात्रियों का दिल भी बहलाती है और ज़रूरत पड़ने पर सफ़ाई का काम भी करती है। 
इसका कारण सिर्फ़ यह है कि बार या होटल के काम में आपको संस्कृति, संस्कार, हया और शर्म आदि सब कुछ याद रहते हैं और उनके काम ऐब बन जाते हैं लेकिन हवाई परिचारिका के तौर पर किये जाने वाले इन्ही कामों में उनकी खूबियां नज़र आने लगती हैं। 

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