'साला' शब्द गाली के रूप में क्यों इस्तेमाल किया जाता है?
पत्नी जिसको हिन्दू धर्म में अर्धांग्नी कहते हैं और पवित्र क़ुरआन में तो पति पत्नी के रिश्ते को दो शब्दों में ही बड़ी ख़ूबसूरती से बयान कर दिया गया है कि , अनुवाद, "वह तुम्हारी लिबास हैं और तुम उनके लिबास हो" अर्थात् जिस तरह लिबास और जिस्म के बीच में कोई परदा नहीं होता इसी तरह पति पत्नी का सम्बन्ध है और जिस तरह लिबास जिस्म की ज़ीनत होता है उसी तरह पति पत्नी भी एक दूसरे की ज़ीनत होते हैं और जिस तरह लिबास जिस्म के ऐबों को ढकने के साथ उसकी हिफ़ाज़त भी करता है उसी तरह आदर्श पति पत्नी भी एक दूसरे के ऐब ढकने वाले और सुरक्षा करने वाले होते हैं।
अंग्रेजी में भी साले अर्थात पत्नी के भाई और बहन के पति के लिये एक ही शब्द 'ब्रोदर-इन-लॉ प्रयोग में लाया जाता है।
ईश्वरीय व्यवस्था के अनुसार भी महानतम स्थान पत्नी का ही होता है क्योंकि इसी से इंसान की नस्ल चलती है।
साले के रिश्ते की खूबसूरती को 'सारी ख़ुदाई एक तरफ़ और जोरू का भाई एक तरफ़' वाली कहावत चरितार्थ करती है।
उर्दू व फ़ारसी में साले के लिए 'बिरादर-ए-निसबती शब्द का प्रयोग किया जाता है।
साला चूँकि हिन्दी का शब्द है और हिन्दी में ही इसको गाली भी समझा जाता है लिहाज़ा हिन्दी भाषी समाज ही इसको गाली का रूप देने का ज़िम्मेदार है। इसकी वजह शायद यह है कि इस समाज में पत्नी चूँकि दान के रूप में प्राप्त होने वाली चीज़ होती है इसलिए उससे सम्बंधित रिश्तों को भी सम्मान योग्य नहीं समझा जाता। इसके सबूत में प्रचलित कहावतों को पेश किया जा सकता है जैसे 'साली आधी घरवाली'। क्या इससे ज़्यादा शर्मनाक बात की कल्पना की जा सकती है?
ऐसी ही विचारधारा के लोगों ने पत्नी के भाई के लिए प्रयोग किये जाने वाले 'साला' शब्द को गाली के रूप में मान्यता दे रखी है जबकि पति का भाई और पत्नी का भाई बराबर के सम्मान के हक़दार होते हैं।
बराबरी के हक़ की मांग करने वाली महिलाऐं भी कभी यह मांग नहीं करती हैं कि जब हम अपने पति के भाईयों को देवर जी और जेठ जी जैसे सम्मान जनक अल्फ़ाज़ से नवाज़ती हैं तो हमारे भाईयों के लिए प्रयोग किये जाने वाले 'साला' शब्द को गाली का रूप क्यों दिया हुआ है?
पत्नी जिसको हिन्दू धर्म में अर्धांग्नी कहते हैं और पवित्र क़ुरआन में तो पति पत्नी के रिश्ते को दो शब्दों में ही बड़ी ख़ूबसूरती से बयान कर दिया गया है कि , अनुवाद, "वह तुम्हारी लिबास हैं और तुम उनके लिबास हो" अर्थात् जिस तरह लिबास और जिस्म के बीच में कोई परदा नहीं होता इसी तरह पति पत्नी का सम्बन्ध है और जिस तरह लिबास जिस्म की ज़ीनत होता है उसी तरह पति पत्नी भी एक दूसरे की ज़ीनत होते हैं और जिस तरह लिबास जिस्म के ऐबों को ढकने के साथ उसकी हिफ़ाज़त भी करता है उसी तरह आदर्श पति पत्नी भी एक दूसरे के ऐब ढकने वाले और सुरक्षा करने वाले होते हैं।
अंग्रेजी में भी साले अर्थात पत्नी के भाई और बहन के पति के लिये एक ही शब्द 'ब्रोदर-इन-लॉ प्रयोग में लाया जाता है।
ईश्वरीय व्यवस्था के अनुसार भी महानतम स्थान पत्नी का ही होता है क्योंकि इसी से इंसान की नस्ल चलती है।
साले के रिश्ते की खूबसूरती को 'सारी ख़ुदाई एक तरफ़ और जोरू का भाई एक तरफ़' वाली कहावत चरितार्थ करती है।
उर्दू व फ़ारसी में साले के लिए 'बिरादर-ए-निसबती शब्द का प्रयोग किया जाता है।
साला चूँकि हिन्दी का शब्द है और हिन्दी में ही इसको गाली भी समझा जाता है लिहाज़ा हिन्दी भाषी समाज ही इसको गाली का रूप देने का ज़िम्मेदार है। इसकी वजह शायद यह है कि इस समाज में पत्नी चूँकि दान के रूप में प्राप्त होने वाली चीज़ होती है इसलिए उससे सम्बंधित रिश्तों को भी सम्मान योग्य नहीं समझा जाता। इसके सबूत में प्रचलित कहावतों को पेश किया जा सकता है जैसे 'साली आधी घरवाली'। क्या इससे ज़्यादा शर्मनाक बात की कल्पना की जा सकती है?
ऐसी ही विचारधारा के लोगों ने पत्नी के भाई के लिए प्रयोग किये जाने वाले 'साला' शब्द को गाली के रूप में मान्यता दे रखी है जबकि पति का भाई और पत्नी का भाई बराबर के सम्मान के हक़दार होते हैं।
बराबरी के हक़ की मांग करने वाली महिलाऐं भी कभी यह मांग नहीं करती हैं कि जब हम अपने पति के भाईयों को देवर जी और जेठ जी जैसे सम्मान जनक अल्फ़ाज़ से नवाज़ती हैं तो हमारे भाईयों के लिए प्रयोग किये जाने वाले 'साला' शब्द को गाली का रूप क्यों दिया हुआ है?
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