Thursday, June 9, 2016

साक्षी, योगी और प्राची आदि के ख़िलाफ़ हिन्दू समाज के बुद्धिजीवियों को खुल कर सामने आना चाहिए। Sharif Khan

जिस तरह दुकानदार शोकेस में बेहतरीन चीज़ सेम्पिल के तौर पर रखता है उसी तरह साधु सन्यासी या धर्म के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले लोग अपने धर्म के शोकेस में सजाने लायक़ विभूतियां होती हैं जिनको देख कर हर इंसान का सर श्रद्धा से झुक जाता है और लोग उनके कथन को तो बहुमूल्य समझते ही हैं साथ में उनके द्वारा किये गए कार्यों अनुकरण करके सुकून हासिल करते हैं। मदर टेरेसा, गुरु नानक देव, हज़रत मुईनुद्दीन चिश्ती आदि महान लोग इसके उदहारण हैं।
इन सन्तों की वाणी बिलकुल ऐसी होती है कि जैसे इत्र की शीशी का ढक्कन खोल दिया हो और उससे पूरा माहौल महक गया हो।
ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के सनातन कहलाने वाले धर्म के सन्तों और ज्ञानियों को या तो बन्धक बना कर कहीं क़ैद कर दिया गया है या फिर अपनी इज़्ज़त बचा कर वह लोग स्वयं ही पलायन कर गए हैं और उनके स्थान का कुछ पाखण्डियों ने अतिक्रमण किया हुआ है जिनमें योगी आदित्य नाथ, साक्षी महाराज, प्राची आदि के नाम विशेष तौर पर हाईलाईट हो रहे हैं। यह जब बोलते हैं तो ऐसा लगता है जैसे गन्दगी से भरे हुए किसी बर्तन का ढक्कन खोल दिया हो और पूरा वातावरण दुर्गन्धमय हो गया हो।
हिन्दू समाज का बुद्धिजीवी वर्ग स्वयं इन अनचाहे साधुवेश धारियों से सन्तुष्ट नहीं है परन्तु सरकारी संरक्षण प्राप्त होने के कारण यह गन्दे लोग हिन्दुत्व के नाम पर हिन्दू समाज को बदनाम कर रहे हैं। हिन्दू समाज की इन पाखण्डियों के प्रति उदासीनता देश में हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को हानि पहुंचा रही है इसलिए हिन्दू समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को अपनी ज़िम्मेदारी पहचानते हुए इन समाज दुश्मन तत्वों का खुल कर विरोध करना चाहिए।

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