उत्तरप्रदेश में लाए जाने वाले दो बच्चों वाले जनसंख्या क़ानून का भयावह रूप यहां की हिन्दू समाज में उस समय देखने को मिलेगा जब लड़कियों को गर्भ में ही समाप्त करके केवल दोनों लड़के पैदा करने की परम्परा पैदा हो जाएगी।
मुसलमानों का जहां तक संबंध है तो उनका इस बात पर पुख़्ता ईमान है कि पैदा होने वाले बच्चे अपना भाग्य साथ लेकर आते हैं और पैदा करने वाला उनकी परवरिश का पहले ही प्रबंध कर कर देता है इसलिए मुस्लिम समाज में भ्रूण हत्या का चलन नहीं है। कुछ लोग मूर्खता वश मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ कहते हैं जबकि आमतौर से हिन्दुओं और मुसलमानों में थोड़ा ही अन्तर है। चूंकि हिन्दुओं में कमाऊ पत्नी की मांग ज़्यादा है इसलिए मुस्लिम लड़कियों के मुक़ाबले में हिन्दू लड़कियों को ऐसी शिक्षा ज़्यादा दी जाती है जिसके ज़रीये वह नौकरी हासिल करके धन कमाने की मशीन बन कर घर चलाने में अपने पति का सहयोग कर सके। इस प्रकार मुस्लिम समाज में पत्नियां अक्सर घरों में रहती हैं जबकि हिन्दू समाज की महिलाओं को नौकरी आदि के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है इस वजह से लोग यह समझते हैं कि मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं। हिन्दू समाज और मुस्लिम समाज में अमीरी और ग़रीबी का फ़र्क ख़ासतौर से दो कारणों से होता है। पहला कारण यह है कि हिन्दुओं में ज़्यादातर परिवारों में पति-पत्नी दोनों कमाते हैं और दूसरा कारण मुसलमानों के साथ पक्षपात होने के कारण उनको आसानी से नौकरी नहीं मिलती है।
जनसंख्या की बात करें तो आजकल अक्सर 28 30 साल की उम्र में विवाह होता है जबकि पहले 20 22 साल की उम्र तक विवाह हो जाना आम बात थी। इस प्रकार यह 8 10 साल का जो फ़र्क आया है इस अंतराल में जो 4 5 बच्चे पैदा होते उनके न होने से स्वतः ही जनसंख्या कंट्रोल हो रही है। इसके अलावा बड़ी उम्र में विवाह होने के कारण प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती है इस प्रकार यह भी जनसंख्या कंट्रोल में सहायक हो रहा है इसलिए ऐसे क़ानून की कोई आवश्यकता नहीं है।
अब ग़रीबी, महंगाई, बेरोज़गारी और कुशासन से लोगों का ध्यान हटाने के मक़सद से सरकार जनसंख्या क़ानून ला रही है और इस प्रकार सरकार अपने मक़सद में कुछ हद तक कामयाब भी हो जाएगी लेकिन इसका नुक़सान हिन्दुओं को भुगतना पड़ सकता है क्योंकि उनको कमाने वाला चाहिए और जब दो ही बच्चे होने हैं तो दोनों लड़के ही हों ताकि एक नाकारा निकल आए तो दूसरे लड़के के रूप में विकल्प मौजूद हो इसलिए वह लड़कियों को पैदा ही न करेंगे और चूंकि बच्चे लड़कियों से ही पैदा होते हैं इसलिए लड़कियों के कम होने या न होने पर हिन्दू आबादी इस जनसंख्या क़ानून के कारण नष्ट हो जाएगी। मुसलमानों की बात करें तो चूंकि इस क़ानून में दो से अधिक बच्चे होने पर कोई सज़ा का प्रावधान न होकर सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ और नौकरियों आदि से वंचित करने की बात कही गई है और चूंकि मुसलमान इन चीज़ों से पहले ही वंचित किये जा रहे हैं इसलिए उन पर दो से अधिक बच्चे पैदा होने से कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।